सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग? Pramod Mehta, November 1, 2022March 13, 2023 What will people say? ‘दुनिया क्या कहेगी’ की विचारधारा व्यक्ति की जिंदगी में एक अहम भूमिका अदा करती है और धीरे धीरे यह आदत में परिणीत होकर विकराल रूप धारण कर लेती है जो ज़्यादातर पतन की राह है । अधिकतर व्यक्ति अपनी जिंदगी दूसरों की सोच को मद्देनजर करके जीता है, न कि अपनी मर्ज़ी से। 24 घंटे मस्तिष्क में एक ही विचार बना रहता है कि ऐसा नहीं किया तो ‘लोग क्या कहेंगे’ जैसे हम उनके गुलाम हैं। ‘दुनिया क्या कहेगी’ एक प्रकार का नशा है जिसके कई दुष्प्रभाव हैं क्योंकि ‘इसको’ चरितार्थ करने के लिए हर दिन नई तरक़ीब जुटानी पड़ती है जिससे जीवन में एक नई उलझनों का जन्म होता है और यह उलझनें आगे चलकर जाल और जी का जंजाल हो जाती है। ‘दुनिया क्या कहेगी’ की मानसिकता कई दुष्प्रभाव हैं । वित्तीय दिखावा – ‘दुनिया क्या कहेगी’ की सोच से ‘वित्तीय दिखावा’ जन्म लेता है जिसका सीधा अर्थ है अपनी वित्तीय सामर्थ्य से बड़कर थोथी प्रतिष्ठा के लिए मोम के महल को मढ़ना है जिसको वास्तविकता की चिंगारी कभी भी ध्वस्त कर सकती है। मेहनत से कमाया हुआ धन कभी भी दिखावे की ओर नहीं धकेलता है। वाणी का दिखावा – यह बुराई है जो व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य से बढ़-चढ़कर वार्तालाप करने के लिये प्रेरित करती है, उसकी बातों से ऐसा प्रतीत होता है मानो वह दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञानी, बुद्धिमान मानव है। यह आंतरिक हीन भावना को दबाने का असफल व्यक्त प्रयास है। ‘क़र्ज़ा’ – वित्तीय दिखावे का सबसे प्रमुख दुष्प्रभाव है ‘क़र्ज़ा’ । वर्तमान में तकनीकी के विकास के कारण ‘क़र्ज़ा’ लेना जितना आसान हो गया और इसका चुकाना उतना ही पाषाण । ऐसा माना जाता है जिसने क़र्ज़ नहीं लिया हो उसको हृदय संबंधी बीमारी नहीं होती है। गावों में आज भी कर्जदार को आदर नहीं मिलता है। कर्जे की अर्थव्यवस्था लोंगों की जिंदगी लील रही है । वैमनस्यता – वित्तीय दिखावा एवं बड़बोलापन पारिवारिक एवं सामाजिक दुश्मनी को जन्म देता है जो आगे जाकर युद्ध तक में परिवर्तित हो जाती है। व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को बड़बोलेपन से बड़ा चड़ाकर बताने का प्रयास करता है जो आगे चलकर उसको वैमनस्यता समूद्र में ले डूबता है। अनादर व एकाकी पन – वित्तीय दिखावा, बड़बोलापन, क़र्ज़ा, वैमनस्यता व्यक्ति की प्रतिष्ठा में दीमक का कार्य करते हैं क्योंकि आदमी यह भ्रम पाल लेता हैं कि, उसकी प्रतिष्ठा बड़ रही है परंतु यह उसकी मृगतृष्णा है यथार्थ में तो वह इस से कोसों दूर रहता है। ‘दिखावा’ जिसके समीप रहता है उसके पास स्वार्थी के अलावा कोई भी क़रीब आना पसंद नहीं करता और वह शनै-शनै एकाकी हो जाता है जिसके परिणाम से सभी परिचित हैं। गृहकलह एवं रोग – व्यक्ति अक्सर ‘दुनिया क्या कहेगी’ के कारण परिवार की उपेक्षा कर, अपना सुंदर सा घर जलाकर दूसरों की दुनिया रोशन करता है । इस गृहकलह के कारण कई जिंदगियाँ तबाह हो चूंकि है और हो रही हैं। इसकेकारण व्यक्ति तनावग्रस्त रहता है और यही तनाव कई रोगों का पैदा करता है और जो विध्यमान हैं उनको बड़ावा देता है । दिखावा एक तरह का अहं है जिसकी पूर्ति करते करते मानव मानसिक दिवालियापन का शिकार होता है, यदि सूक्षमता से इनका परीक्षण किया जाय तो हो सकता है किसी तरह के मानसिक रोग की पुष्टि हो । ‘दिखावा’ होटल का खाना और ‘चादर में रहना’ घर का भोजन है, क्योंकि होटल का खाना ज्यादा दिन तक नहीं खाया जा सकता और घर का भोजन तो अमृत है ही । एक व्यक्ति की दुनिया की व्यख्या करें तो हम पायेंगे कि उसमें 40% स्वयं उसका परिवार, 20% मित्र, स्वजन व पड़ौसी, 10% समाज, 25% व्यवसायिक रिश्ते एवं 5% अन्य । यदि ‘दुनिया क्या कहेगी’ का तुलनात्मक नज़रिया से देखें तो परिवार, मित्र, स्वजन, पड़ौसी, समाज एवं व्यवसायिक रिश्ते (कम से कम 15%) कुल 85% दुनिया को आपकी वास्तविकता ज्ञात ही रहती है तो उनको वित्तीय एवं वाणी के दिखावे की क्या आवश्यकता है । शेष 15% को आपसे कोई लेनदेना नहीं है तो उनके लिए भी क्या आवश्यकता है। श्री हेनरी फ़ोर्ड (फ़ोर्ड कार कंपनी के संस्थापक) हमेशा साधारण कपड़ों पहनते थे उनका कहना था कि, जो मुझे जानते है उनको मेरे कपड़ों से क्या लेनदेना और जो मुझे नहीं जानते उनसे मेरा क्या लेनदेना। वास्तविकता में देखा जाय तो दुनिया को किसी से कोई लेना देना नहीं है, केवल दूसरों को देख कर हम अपनी सोच बना लेते है और इसी उधेड़बुन में क्या से क्या कर लेते हैं। ‘दुनिया क्या कहेगी’ के लिए सबसे उपयुक्त धोबी, उसका बच्चा एवं गधे की कहानी है जिससे एक अकाट्य सबक मिलता है कि, “सुनो सबकी करो मन की” । एक कहावत है “बगल में बच्चा नगर में ढिंढोरा”, जब वास्तविक खुशियाँ अपने आस-पास ही हैं तो दूर दिखावे की दुनिया में दम भर कर दौड़ने की क्या ज़रूरत है। सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग सबसे बड़ा दर्द दुनिया का कर्ज़ सबसे बड़ा झोला जीभ का बड़बोला सबसे बड़ी खामी मन की मनमानी Joyful Lifestyle