प्रसन्न रहने की कला Pramod Mehta, July 6, 2022December 22, 2022 The Art of Happiness “प्रसन्नता” या खुश रहना अपने आप में एक कला है। “प्रसन्नता”/happiness तभी आयेगी जब हम मन एवं दिल से संतुष्ट हों । “प्रसन्नता” एक अभ्यास है जिसको मनन करना और समझना ज़रूरी है क्योंकि इसको को पाने के लिए भागीरथी प्रयास करने पड़ते हैं तब जाकर गंगा जैसा सुख हृदय में आता है और वह छाया की तरह साथ रहता है। “प्रसन्नता” का मूल मंत्र है सकारात्मक सोच (Positive Attitude) । “प्रसन्नता” जीवन से संतुष्टि (Life Satisfaction) नहीं बल्कि संतुष्टि और आनंद का संगम है यह । “प्रसन्नता”/happiness दिल के अंदर से निकलती है और चेहरे पर दिखती है इसलिये “प्रसन्नता” का सफ़र बहुत छोटा है परंतु इसको दिल में लाना ही कठिन कार्य (Task) है क्योंकि, “प्रसन्नता” मिलती नहीं लाना पड़ती है । जैसे प्रकाश के देवता सूर्य के रथ में सात अश्व (Horse) होते हैं ठीक उसी प्रकार “प्रसन्नता” को दिल तक लाने के लिए सात अश्व आवश्यक हैं । (1) प्रेम/स्नेह (Affection) “प्रसन्नता” की पहली सिड़ी प्रेम/स्नेह ही है यदि हम किसी भी रिश्ते/वस्तु में प्रेम/स्नेह रखते हैं तो हमेशा मन आनंदित रहता है और प्रेम की बुनियाद (Foundation) पर “प्रसन्नता” का अश्व दौड़ता है। (2) बड़प्पन (Greatness) यह कहा जाता है बड़ा दिल रखो । जब सोच ऊँची हो और दिल/दिमाग में कोई ख़लिश न हो तो “प्रसन्नता”/happiness आना पक्का है । गलत को भूल जाओ और अच्छे को याद रखो, यही बड़प्पन है जो हमको प्रसन्न रखता है। (3) धैर्य, (Patience) / शांति (Peace) यह तो “प्रसन्नता” की असली आवश्यकता है और इसके लाभ तो इतने हैं कि वर्णन नहीं किया जा सकता यदि एक लाइन में कहें तो यह आंवले (Gooseberry) की तरह है जिसको किसी भी तरह से उपयोग में लाओ फिर भी उसमें गुडवत्ता (Quality)बनी रहती है। (4) क्षमा (forgiveness) क्षमा “प्रसन्नता” की मुख्य पात्र (Lead Role) है। ‘क्षमा विरस्य भूषणम’ अर्थात क्षमा वीरों का आभूषण (Ornament) है, जिसने क्षमा धारण (Accept) कर ली वह वीर और उस पर हर प्रकार का वार निरर्थक (Futile) हो जाता है। यही वीरता “प्रसन्नता” देती है। (5) कर्म-योगी “प्रसन्नता”/happiness पाने के लिए कर्म-योगी बनना पड़ता है क्योंकि वह त्यागी एवं दानी है एवं फल प्राप्ति की इच्छा नहीं रखता । कुछ अच्छा पाने के लिए अपने भौतिक सुख को छोडना ही कर्म-योगी का कार्य है । (6) आशावादी (Optimistic) ‘“प्रसन्नता”’ केवल आशावादी व्यक्ति के घर पर ही रहती है । (7) समय प्रबंधन (Time Management) ‘“प्रसन्नता”’ को लगातार बनाये रखने के लिये समय प्रबंधन बहुत आवश्यक है। अक्सर हम अपना समय गैर ज़रूरी कार्यों में व्यतीत कर देते हैं और जब कोई महत्वपूर्ण काम पड़ता है तो हम परेशान हो जाते हैं और हमारे अंदर की “प्रसन्नता” कपूर की तरह उड़ जाती है परंतु समय प्रबंधन ही हमारी “प्रसन्नता” को क़ायम रखता है। तनाव (Tension) को दूर रखने का भी अचूक ईलाज़ है, ‘“प्रसन्नता”’ । सभी का प्रयास रहता है कि उसको तनाव न हो एवं जीवन में शांति मिले और यह तभी संभव है जब दिल में “प्रसन्नता” का निवास हो । में यहाँ पर फिर दोहराऊँगा कि, “प्रसन्नता” हर दर्द का इलाज़ है, लाख दुःखों की एक दवा है क्यूँ न आजमाए (Happiness is a Medicine), “प्रसन्नता” कई रोगों से मुक्ति हैं, रिश्तों में गंभीरता (soundness) की शक्ति है, सफलता की प्रकृति (nature) है, धर्म में आसक्ति (Attachment/Belief), ईश्वर की भक्ति है और प्यार की अभिव्यक्ति (expression) है इन सभी के फलस्वरूप (resulting) आत्मिक शक्ति (Self Confidence) (Spirit Power) है। विश्व प्रसिद्ध शांति का पुरस्कार (Noble Prize of Peace) भी “प्रसन्नता” का सूचक है क्योंकि जहां शांति है वहाँ “प्रसन्नता” है। “नाव कागज़ की गेहरा हे पानी, जिंदगी की यही है कहानी, फिर भी हर हाल में मुस्कुराके, दुनिया दारी पड़ेगी निभानी” महान गायिका स्व.लता मंगेशकर एवं स्व. श्री मोहम्मद रफी साब का गया हुआ गीत (View song) यह गीत “प्रसन्नता” की वास्तविकता (Reality) को दर्शाता (Indicate) है। इसलिए “प्रसन्नता” को बनाए रखना ही हमारे जीवन का मुख्य लक्ष्य होना चाहिये। “मनुष्य की सुंदरता का सबसे अच्छा गहना प्रसन्नता है।“ Healthy Mind Positive Thinking