सकारात्मक सोच Pramod Mehta, June 23, 2022December 22, 2022 Positive Thinking हर व्यक्ति की सोच के दो पहलू होते हैं सकारात्मक एवं नकारात्मक और व्यक्ति दोनों का उपयोग समय समय पर करता है। दोनो ही अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण हैं । सकारात्मक सोच/positive thinking ‘धैर्य’, ‘त्याग’ एवं कर्तव्य की भावना की परिचायक है एवं दवा का काम करती है । सकारात्मक सोच’ को अपनाना तभी संभव है जब हम शिकायत का भाव न रखें (‘No Grievance’) ‘सकारात्मक सोच/positive thinking’ को जिसने अपना बना लिया वह व्यक्ति ‘शक्तिमान’ बन जाता है और ‘सर्व शक्तिमान’ भी उसकी हर संभव सहायता करता है । गीता का एक उपदेश बहुत उल्लेखनीय है ‘गलत विचार ही जीवन में मुसीबत का कारण बनते हैं। सही ज्ञान ही हमें समस्त मुसीबतों से बचाते हैं ।‘ ‘सकारात्मक सोच/positive thinking’ वाला व्यक्ति हमेशा समाधान (Solution) के बारे में सोचता है । ‘स्वस्थ मन तो स्वस्थ तन’ ‘सकारात्मक सोच’ वाले व्यक्ति को अवसाद (depression), मधुमेह (Diabetes), उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) आदि बीमारियां एवं विकार (disorder) होने की संभावना कम होती है । बहुत से व्यक्तियों ने सकारात्मक सोच के कारण ही गंभीर रोगों को अपने पर हावी नहीं होने दिया है जिसका ज्वलंत उदाहरण आज के legend अभिनेता श्री अमिताभ बच्चन जी हैं। ऐसे और भी कई उदाहरण मौजूद है जो इस सत्य को प्रमाणित करते हैं कि, सकारात्मक सोच ही सही मायने में उत्तम है। सामान्यतः मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन काल में कोई न कोई समस्या अवश्य आने की संभावना रहती है और उस समस्या से अच्छे से निपटना ही एक कला है जो केवल सकारात्मक सोच से ही आती है । भगवान गौतम बुद्ध के जीवन काल का एक प्रसंग उल्लेखनीय है जिसमें यह संदेश है कि ऐसा कोई घर नहीं है जहां मृत्यु नहीं हुई हो । जब समस्या अवश्यंभावी हो तो सकारात्मक सोच से ही उस पर विजय प्राप्त की जा सकती है। गीता में भी यही कहा गया है कि, सकारात्मक सोच वाला पुरुष सुखपूर्वक संसार बंधन से मुक्त हो जाता है। इस विश्व में लगभग सभी महान हस्तियों की जीवन में बहुत उतार-चड़ाव आए हैं और सभी ने इन उतार-चड़ाव पर सकारात्मक सोच/positive thinking रूपी अस्त्र से ही विजय प्राप्त की है । कभी-कभी हमारा कोई कार्य नहीं हो पा रहा है या कोई प्रतिउत्तर नहीं आता है तो हमको यही सोच रखना चाहिए कि, कोई न कोई उचित कारण स्वयं के हित में होगा जिसके कारण हमारा कार्य नहीं हुआ है । अपेक्षित परिणाम को प्राप्त करने के लिए सकारात्मक सोच/positive thinking के तीन आधारों (धैर्य’, ‘त्याग’ एवं कर्तव्य की भावना) को अपनाना ही हितकारी है। बिना सकारत्मक सोच के कोई भी कार्य/योजना (Work/Planning) प्रारम्भ नहीं हो सकती है और उसको क्रियान्वयन (Implementation) करने के लिए भी यही सकारत्मक विचारधारा (Positive Attitude) को अपनाना पड़ता है । गणित की भाषा में योग/जोड़ (Plus) का निशान (Sign) भी सकारत्मक सोच को ही लक्षित (denote) करता है अतः जो आज हमारे पास उपलभ्ध है उसका आनंद लें और अधिक के लिए सकारात्मक प्रयास करते रहें। किसी भी क्षेत्र में अपेक्षित सफलता प्राप्त करना है तो सकारात्मक तो होना ही पड़ेगा। प्रसिद्ध गायक आदरणीय श्री किशोर कुमार जी का एक गीत सकारात्मक्ता (Positivity) के लिए बहुत उपयुक्त है “रुक जाना नहीं तू कहीं हार के काँटों पर चलके मिलेंगे साये बहार के” । “I have to do, I can do, I must do & I shall do.” (आचार्य श्री विजय रत्नसुंदरसूरी जी के अनमोल वचन) Positive Thinking blog on lifehealthy mindpositive attitudepositive thinkingsuccesssympathytogetherness