हस्त-पंजा और जीवन चंगा Pramod Mehta, August 5, 2022December 26, 2022 Palm & Healthy Life ईश्वर एवं प्रकृति से जो कुछ मिला है वह अद्भुत है और उनका अपना विशेष महत्व भी है । उनमें से एक है दुर्लभतम ‘मनुष्य जीवन’ जो कई जन्मों की कठिन तपस्या एवं सद्कर्म का प्रतिफल है । कठिनाइयों एवं मेहनत से जो प्राप्त होता है उसको संभालना भी उतना ही कठिन है, जैसे यह जीवन अतः लाज़िमी है कि इसके निर्वाह के लिये भी वैसी ही विशेषताओं को अपनाना होगा तभी मन चंगा रहेगा। इनको यदि हाथ के पंजे के स्वरूप में भी दृष्टिगत करें तो 7 विशेषताएँ सामने आती है। शरीर के संचालन में एक हाथ की चार उँगलियाँ, एक अंगूठा, मुट्ठी एवं हथेली की जैसी भूमिका है वैसी ही इनकी खूबियाँ भी healthy life की ज़रूरतें हैं । तर्जनी (Index Finger) – यह इंगित (indicate) करने को दर्शाती है । जब तर्जनी दूसरे की ओर इंगित हो तो घमंड और स्वयं की और होतो तो ‘विनम्रता’ बन जाती है। स्वयं की ओर इंगित वाली विचारधारा का पालन यदि जीवन में किया तो कभी किसी के दोष द्रष्य नहीं होंगे वरन अपने दंभ से भी दूर रहेंगे तभी जीवन में आनंद का आगमन होगा। चूंकि तर्जनी हथेली के गुरु पर्वत पर स्थित है अतः जीवन में निरंतर सद्गुरु का सानिध्य होना सौभाग्य है । जीवन के चित्र-पट में यह अनुजा के किरदार को विनम्रता बनकर निभाती है जो परिवार में खुशनुमा माहौल बनाती है । मध्यमा (Middle Finger) –यह सभी से बड़ी होती है जो ‘बड़प्पन’ की सूचक है । हमारा दिल एवं मन बड़ा होने से उसमें सब समा सकते है, सबको साथ लेकर चलने वाला ही अपनी मंज़िल पाता है । भारत रत्न आदरणीय रतन टाटा जी ने कहा है “अगर आप तेज चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए। लेकिन अगर दूर तक जाना चाहते है तो साथ-साथ चलिए”। यह तर्जनी के साथ मिलकर विजय की मुद्रा (V) निर्मित कर अथक प्रयासों से प्राप्त विजय को जीवन के आनंद से परम आनंद में ले जाती है। यह बड़ी होकर अग्रज का किरदार भी निभाती है जो बड़प्पन से सबको साथ लेकर चलते हैं। अनामिका (Ring Finger) – यह Healthy Life/जीवन की ‘पवित्रता’ को प्रदर्श करती है, क्योंकि व्यक्तित्व में निखार आना और आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होना इसी से संभव है । यह ऐसी विशेषता है जो आत्मा और परमात्मा का मिलन करवाती है, इसीलिए परमात्मा को ‘पवित्रता’ से ही पाया जा सकता है। जीवनकाल के आनंद में वैवाहिक-गठबंधन हेतु ‘पवित्रता’ प्रथम पद है इसिलिये यह मंगनी की अंगूठी भी धारण करती है। दादा-दादी अनामिका बनकर हमको अनुभव, आध्यात्म और पवित्रता का संदेश देते है। कनिष्ठा (Little finger) – हथेली के बुध पर्वत पर स्थित होकर यह अन्तर्मन एवं ‘ज्ञान’ की परिचायक है जिससे किसी भी परिस्थिति में उचित समय पर यथोचित निर्णय लिया जा सके । सही समय पर सही निर्णय जीवन के आनंद को दोगुना कर देता है। कनिष्ठा एवं अंगूठे के ऊपरी भाग मिलकर प्रणाम/नमस्कार की मुद्रा को निर्मित करते हैं जो मेल-मिलाप के समय विशिष्ट भूमिका निभाते हैं । यह कनिष्ठ होते हुए भी परिवार में अग्रजा का किरदार निभाती है जो हमेशा सही वक़्त पर सही सलाह दे सकती है। अंगूठा (Thumb) – अंगूठे के नेत्रत्व में चारों उंगलियाँ मिलकर किसी भी कार्य को सम्पन्न करने योग्यता रखती हैं । ठीक इसी तरह ‘विवेक’ रूपी अंगूठा विनम्रता, बड़प्पन, पवित्रता एवं ज्ञान रूपी उँगलियों के साथ जुड़कर जीवन/Healthy Life के प्रत्येक कार्य में शांति से संपूर्णता लाता है, अन्यथा सब अधूरा रह जाता है । शायद इसिलिये श्री द्रोणाचार्य ने धनुर्धर एकलव्य का अंगूठा दक्षिणा में मांगा था। विवेक ही ऐसी शक्ति है जो मानव को सभी में श्रेष्ठ होने का परिचय देती है। परिवार में ‘पिताजी’ अंगूठे के पात्र हेतु सबसे उपयुक्त हैं । हथेली (Palm) – सभी उँगलियों एवं अंगूठे को अपने पर विध्यमान करने वाली हथेली ‘माँ’ समान है जो परिवार में ‘सूत्रधार’ की भूमिका निभाती है। जहां परिवार में सामंजस्य है वहाँ जीवन आनंद है जो माँ से ही संभव है। माँ के कारण एक सूत्र में बंधे परिवार का आनंद तो काबिले तारीफ है एवं श्रेष्ठतम गुणों से लबालब हथेली रूपी माँ अपने बच्चों में किसी भी गुण की कमी नहीं रहने देती है। तभी कहा जाता है कि, ईश्वर स्वयं नहीं आ सकते इसीलिए माँ का अवतार दिया है। माँ तुझे प्रणाम । मुट्ठी (Fist) – जब चारों उँगलियों एवं अंगूठे को हथेली पकड़ती है तो वह मुट्ठी बनकर एकता का प्रतीक होती है ठीक इसी तरह विनम्रता, बड़प्पन, पवित्रता, ज्ञान, विवेक एवं सूत्रधार एकाकार हो कर जीवन में आनंद की बयार लाते है । अनेकता में एकता ही जीवन का मूल मंत्र है क्योंकि असली मज़ा सबके साथ आता है। वर्ष 1977 की हिन्दी मूवी ‘धरमवीर’ का एक गीत मुट्ठी के लिये बहुत सटीक है “बंद हो मुट्ठी तो लाख की, खुल गयी तो फिर खाक की”। आइये, हम सब मिलकर मनुष्य जीवन की सार्थकता को क़ायम रखने के लिये हर संभव प्रयास करके जीवन की फुलवारी में विभिन्न रंग के फूलों का स्वागत करें । इन्ही फूलों से मन महक कर मंत्र मुग्ध हो जायेगा । ‘विनम्रता’ के चेहरे पर, ‘बड़प्पन’ के साथ, ‘पवित्रता’ की गुलाल मलकर, ‘अन्तर्मन’ के जल को ‘विवेक’ की पिचकारी में भरकर, ‘सूत्रधार’ के संग, बिखेरेंगे सब आनंद के रंग Healthy Mind Joyful Lifestyle