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महत्त्वाकांक्षा

Pramod Mehta, November 8, 2022December 5, 2022

Ambitious

‘महत्त्वाकांक्षा’ दो शब्दों का मिलन है, महत्व (अधिक आवश्यक,श्रेष्ठता,महत्ता) और आकांक्षा (इच्छा,चाहत और अभिलाषा) जिसको सरल शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि, तुलनात्मक रूप से अधिक महत्व की अभिलाषा ही ‘महत्त्वाकांक्षा’ है । मानव में पायी जाने वाली यह विशेषता उसको उन्नति, कल्याण, समाज सुधारक, उत्तम नेत्रत्व क्षमता, उच्च शिक्षा, बहुउद्धेशीय व्यवसायी आदि की ओर अग्रसर करती है। ‘महत्त्वाकांक्षा’ के लिये एक आवश्यक तत्व है लक्ष्य/उद्धेष्य क्योंकि लक्ष्य विहीन व्यक्ति अपना समय गैर ज़रूरी कार्यों में बर्बाद करता है, जीवन में नीरसता आती है, कार्य में स्थिरता नहीं रहती है और उनको यह भी ज्ञात नहीं होता है कि जीवन में क्या करना है। मेरा मानना है कि, अधिकतर दो व्यक्तित्व होते हैं, पहले प्रतिक्रियात्मक एवं दूसरा सक्रियात्मक । प्रतिक्रियात्मक व्यक्तित्व वाले लोग दुनिया की देखा-देखी वाले कार्य करते हैं जबकि सक्रियात्मक व्यक्तित्व वाले अपनी दुनिया खुद बनाते हैं, क्योंकि वे अपना लक्ष्य तय करके कार्य करते हैं, ऐसे लोग ‘महत्त्वाकांक्षी’ कहलाते हैं । यह माना जाता है कि, महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति ड्राइविंग सीट पर बैठता है । ‘महत्त्वाकांक्षा’ में नौ रत्नों की विशेषताएँ भी हैं।

1.प्रेम, दृढ़ता / मजबूती (हीरा) – हीरा प्रेम, पवित्रता, भाग्य, कठोरता एवं सद्भाव का प्रतीक माना जाता है, ठीक उसी प्रकार से ‘महत्त्वाकांक्षा’ भी हीरे की विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करती है। ‘महत्त्वाकांक्षी’ व्यक्ति को किसी लक्ष्य की प्राप्ति करना होती है तो उसमें प्रेम की भावना, पवित्रता की ऊँचाइयाँ, लक्ष्य के प्रति कठोरता एवं सामाजिक सद्भाव का समागम हो जाता है। ढुलमुल रवैया व्यक्ति को आगे नहीं बड्ने देता है इसलिये अपने लक्ष्य को पाने के लिये डिगना नहीं चाहिये, बल्कि हर परिस्थ्ति का डट कर सामना करना ही सफलता है।

2.आशावादी/सकारात्मकता (मोती) – ‘महत्त्वाकांक्षा’ भी मोती रत्न के समान है । जैसे मोती विचारों पर नियंत्रण कर सकारात्मक विचारों को आगे बढ़ाता है एवं मन की उलझन दूर करने के लिये जाना जाता है, ठीक इसी प्रकार से ‘महत्त्वाकांक्षा’ भी व्यक्ति को आशावादी बनाती है क्योंकि जिसने लक्ष्य का निर्धारण किया है उसको पूरा करने के लिये आशावादी होना भी आवश्यक है और आशावाद से व्यक्ति में सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति होती है।

3.संतोष, साहस, रचनात्मक (पन्ना) – ‘महत्त्वाकांक्षा’ में पन्ना रत्न की तरह गुण पाये जाते हैं।यह योग्यता को उन्नत करने वाला, बौद्धिक स्तर संतुलित रखने वाला, रचनात्मकता में वृद्धि कारक एवं नाम दिलवाने वाला रत्न है।महत्त्वाकांक्षा’ में भी यही गुण व्याप्त है जो व्यक्ति सफल बनाने में अचूक अस्त्र का काम करते हैं। योग्यता, बौद्धिक संतुलन, रचनात्मक कार्य एवं प्रसिद्धि महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति की निशानी है।

4.सृजनात्मकता एवं अनुशासन (नीलम) – नीलम रत्न को कार्यशैली के निखार, विचार शक्ति के विकास एवं निर्णय क्षमता को प्रभावी करने के लिये जाना जाता है । ‘महत्त्वाकांक्षा’ भी व्यक्ति को सृजनात्मक बनाती एवं अनुशासन बद्ध रखती है जिस कारण वह अपने लक्ष्य को हासिल कर पाता है। बिना सृजन एवं अनुशासन के जीवन बिलकुल बिना पतवार वाली नाव के समान है।

5.शक्तिशाली / साहस (माणिक्य) – माणिक्य में साहसी एवं शक्तिशाली होने का अद्भुत गुण है। जहां पर लक्ष्य है वहाँ पर उसको पाने के लिये साहस एवं शक्ति दोनों विध्यमान होते हैं। ‘महत्त्वाकांक्षा’ विपरीत परिस्थितियों में भी डटे रहने का आत्मबल है तभी सफलता कदम चूमती है। कोई भी उद्धेश्य को पूरा साहस एवं शक्ति से ही किया जा सकता है।

6.दृड़ निश्चय एवं प्रेरणा (मूंगा) –  मूंगा ऊर्जा, उत्साह व आत्म-विश्वास में वृद्धि का प्रतीक है । ‘महत्त्वाकांक्षा’ में भी मूंगा के समान गुण हैं क्योंकि बिना उत्साह और आत्मविश्वास के कोई मंजिल प्राप्त नहीं की जा सकती है । ‘महत्त्वाकांक्षा’ व्यक्ति में उत्साह का सृजन कर आत्मबल को पुष्ट करती है। महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति अपने निर्णय पर टीके रहने वाला होता है एवं सभी के लिये प्रेरणा श्रोत भी।

7.एकाग्रता,सकारात्मकता एवं विरोधी निर्बल होना (गोमेद) – ‘महत्त्वाकांक्षी’ व्यक्ति लक्ष्य की प्राप्ति के लिये कार्य में एकाग्रता बनाए रखता है और अपने सकारात्मक विचारों से विरोधियों को परास्त कर देता है। गोमेद रत्न भी एकाग्रता, सकारात्मकता का प्रतीक है। लक्ष्य की प्राप्ति में ‘महत्त्वाकांक्षा’ व्यक्ति को कार्य के सभी पहलुओं पर विचार करने की ओर ले जाती है जिससे सफलता का मार्ग बाधा रहित हो जाता है।

8.मान, सम्मान, नेत्रत्व एवं प्रभावशाली (पुखराज) – पुखराज रत्न प्रतिष्ठा का प्रतिनिधित्व करता है। ‘महत्त्वाकांक्षा’ भी मान,सम्मान एवं प्रतिष्ठा की परिचायक होती है क्योंकि लक्ष्य को पूर्ण करने के लिये यह व्यक्ति को मान,सम्मान एवं प्रतिष्ठा प्राप्ति के लिये प्रेरित करती है। आजकल के युग में मान-सम्मान बहुत मायने रखता है, धन तो बहुत लोगों के पास है परंतु प्रतिष्ठा उससे ऊपर है जो ‘महत्त्वाकांक्षा’ रखने वाला प्राप्त कर लेता है।

9.मानसिक शांति एवं आर्थिक सुदृड्ता (लहसुनिया) – ‘महत्त्वाकांक्षा’ व्यक्ति को मानसिक शांति की ओर ले जाती है क्योंकि महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जिससे उसको मन की शांति एवं आर्थिक सुदृड्ता मिल जाती है। लहसुनिया रत्न भी इन्ही गुणो का परिचायक है।

मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि, कुछ कर गुजरने की तमन्ना ही ‘महत्त्वाकांक्षा’ है। ‘महत्त्वाकांक्षा’ का गुण होना यह दर्शाता है कि, व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ उप्लभ्धि हासिल करके ही रहेगा । व्यक्तियों में भेद ‘महत्त्वाकांक्षा’ से ही पता चलता है, महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति की आँखों में चमक होती है, आत्मविश्वास से भरपूर और लक्ष्य के प्रति दृड़ निश्चयी, अवसर का पूरा लाभ उठाने वाले, सीमाओं से परे सोचने वाले, एवं वे स्वचलित (self driven) होते हैं । व्यक्ति में कितनी भी प्रतिभा हो परंतु बिना ‘महत्त्वाकांक्षा’ सफलता प्राप्त नहीं हो सकती है। अर्थव्यवस्था के विकास में सहयोग करने वाले महत्त्वाकांक्षी ही होते हैं, क्योंकि उनको जिंदगी में कुछ करके आत्मसंतोष पाना है न कि, नदी किनारे बैठे-बैठे लहरें गिनना है। ‘महत्त्वाकांक्षा’ की विशेषता बयां करता वर्ष 1981 की हिन्दी फिल्म ‘कालिया’ का एक संवाद श्री अमिताभ बच्चन जी का “ हम भी वो हैं जो कभी किसी के पीछे खड़े नहीं होते, जहां खड़े हो जाते है लाइन वहीं शुरू होती है”।

‘महत्त्वाकांक्षा’ को अक्सर नकारात्मकता के रूप में भी लिया जाता है परंतु ऐसा नहीं है, स्वस्थ ‘महत्त्वाकांक्षा’ अच्छी सेहत के लिये दूध पीने के समान है वहीं अनुचित ‘महत्त्वाकांक्षा’ सुरा सेवन के समान है। ‘महत्त्वाकांक्षा’ प्रकृति के द्वारा दिया गया लोहा है जिसका उपयोग एक चिकित्सक ऑपरेशन करके जान बचाता है तो दूसरी ओर अपराधी इसका उपयोग जान लेने में करता है। यदि जिंदगी में नाम, पैसा कमाना है तो महत्त्वाकांक्षी होना आवश्यक है । यह व्यक्ति को नकारात्मकता से उबारती है और महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति जीवन में आने वाली चुनोतियों का मुकाबला करने में सक्षम होता है।

लक्ष्य की आकांक्षा पूरी करेगी ‘महत्त्वाकांक्षा’

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Pramod Mehta

After extending my service of 37 years in the ‘New India Assurance’, I started my passion for writing on life management. In my opinion, a clear vision of life is much needed in today's scenario.
My style of writing is simple so that my readers get a clear understanding.

Comment

  1. A. P. Khan says:
    December 26, 2022 at 4:30 pm

    सहज व सरलतम शब्दों में सु – रचित दर्शन अत्यंत प्रेरक है, जीवनशैली को महत्व देने वाली आकांक्षाओं पर एक प्रयोगात्मक रचना सराहनीय है 🙏

    Reply

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About Pramod Mehta

From my experience, I observed that a clear vision of life is much needed among people around thus chose ‘Life management’ as the genre of my blog.

My love for our mother tongue makes me write in simple Hindi so that people may understand easily.


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