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भारत भक्ति का अमृत महोत्सव

Pramod Mehta, August 14, 2022December 26, 2022

75th Anniversary of Indian Independence – Celebration of Devotion

परतंत्रता समाप्ति के 75 वर्ष पूर्ण होने पर सम्पूर्ण भारत में आज़ादी/Independence का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का भव्य आयोजन सरकार, निजी संस्थाओं एवं आम नागरिक द्वारा किया गया है और होना भी चाहिए क्योंकि बहुत बलिदानों एवं कठिनतम प्रयासों के बाद भारत गुलामी की जंजीरों से मुक्त होकर स्वतंत्र हुआ था । भारत में पिछले 75 वर्षों में क्या कुछ नहीं बदला है, मेनूअल वर्क के युग से कम्प्युटर युग से भी आगे की ओर अग्रसर हो रहे हैं, सूचना क्रांति तो आसमान छू रही है । अब आज़ादी के मायने बदल चुके हैं क्योंकि हर व्यक्ति अपनी सुविधा एवं स्वतन्त्रता से ज़िंदगी जीना चाहता है और जी भी रहा है। परंतु एक चीज़ न बदली है और न ही बदलेगी, वो है देशभक्ति जिसको में अपने लेख में भारत भक्ति से संबोधित कर रहा हूँ।

हम अंग्रेज़ो की गुलामी से मुक्त तो हुए है परंतु आज भी भारतीय नागरिक विदेशी वस्तुओं का गुलाम है जिसके कारण भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन होता जा रहा है क्या यह अद्रश्य रूप से विदेशी गुलामी का संकेत नहीं है ? दुश्मन देश की बनाई हुई अनेक वस्तुओं का अतिउपयोग भी राशिपातन (Dumping) का एक उत्कृष्ट उदाहरण है । अँग्रेजी भाषा को तो हम छोड़ ही नहीं पा रहे हैं। एक वह समय था जब आज़ादी के लिए महात्मा गांधी ने ‘स्वदेशी’ का नारा बुलंद करते हुए विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी और उनके आह्वान पर देशवासियों ने विदेशी कपड़ों का त्याग कर खादी को अपना लिया था । हिन्दी समाचार पत्र दैनिक भास्कर में गांधीजी जी की पुस्तक ‘हिन्द स्वराज’ का उल्लेख करते हुए लिखा है कि, ‘हिंदुस्तान को अंग्रेजों ने लिया नहीं है, हमने उन्हे दिया है,।‘

देशभक्ति का जो ज़ज़्बा गुलामी के समय हर बच्चे, जवान, बुजुर्ग एवं महिलाओं में था अब वह केवल पुस्तकों, हमारी सेना एवं बहुत कम भारतीय नागरिकों तक सीमित रह गया है। भारत में अधिकांशतः वर्ष में केवल 3 दिन भारत भक्ति का उबाल महसूस होता है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए मेंरा सुझाव है कि, इस अमृत महोत्सव/भारत भक्ति का उत्सव तो प्रतिदिन होना चाहिए, क्योंकि बहुत सारी समस्याओं का हल तो केवल भारत भक्ति की भावना से ही हो सकता हैं। जो व्यक्ति राष्ट्र हित की चिंता से कार्य करेगा वह कभी भी राष्ट्र एवं जन विरोधी कार्यों एवं गतिविधियों में सम्मिलित नहीं होगा । राष्ट्र के हित में देशभक्ति का प्रचार एवं प्रसार सतत होना भी बहुत ज़रूरी है, जैसे किसी भी उत्पाद को बेचने हो तो उसका प्रचार एवं प्रसार ही सबसे बड़ा साधन है ।

मूवी प्रारम्भ होने के पूर्व राष्ट्र-गान की परंपरा पुनः प्रारम्भ हुई है जो इस श्रंखला का एक बहुत सुंदर कदम है। इसी तरह के अन्य उपाय जैसे प्रतिदिन प्रातः सभी सार्वजनिक स्थलों/रेल्वे स्टेशन/बस स्टैंड/हवाई अड्डा/धार्मिक स्थानों पर देशभक्ति गीतों के तराने गूँजेंगे तो न केवल हर भारतीय के मन में देश के प्रति एक नई चेतना का संचार कर देगा बल्कि विदेशियों को भी भारत के प्रति हमारी उच्च आस्था दिखाई देगी । हर पाठ्य-पुस्तक के पहले पन्ने पर देशभक्ति का पाठ होना विध्यार्थी के मानस पटल पर देश के प्रति सम्मान की भावना अवश्य जागृत करेगा । कार्य स्थलों पर भी कुछ इसी प्रकार की सतत गतिविधियां होंगी तो सभी के मन में हमेशा देशभक्ति की भावना पेठ कर जाएगी और सभी प्रबन्धक, अधिकारी एवं कर्मचारी और अधिक लगन से कार्य निष्पादन करेंगे।

आज कल देशभक्ति विषय को लेकर बहुत कम फिल्म/टीवी सिरियल/गीत बनते हैं अतः इसके लिये फिल्म/टीवी निर्माताओं को अपने हित के साथ-साथ देश हित के लिये विशेष प्रयास करना होगा क्योंकि देश है तो हम हैं। देशभक्ति की भावना तो हर भारतीय नागरिक में विध्यमान है परंतु उसको हमेशा जागृत अवस्था में रखना एक अहम कार्य है जिसको सरकारी, गैर सरकारी एवं निजी संस्थान बहुत अच्छे से मूर्त रूप दे सकते हैं। व्यक्तिवाद, वंशवाद को छोडकर राष्ट्रवाद पर यदि क़ायम रहे तो हम और अधिक सम्पन्न, शक्तिशाली, शांत, सुव्यवस्थित, सौहार्द के साथ जीवन निर्वाह कर पायेंगे । 

 सीमा पर जाकर भारत की सुरक्षा नहीं कर सकते तो क्या हुआ कम से कम भारत के सम्माननीय संविधान में राष्ट्र के प्रति जो हमारे कर्तव्य उल्लेखित हैं उन्ही को पूरी शिद्दत से सम्पन्न कर दें तो वह सच्ची भारत भक्ति होगी और हमारा आज़ादी का अमृत महोत्सव चौगुने उत्साह के साथ मनेगा । वर्ष 1954 की हिन्दी फिल्म जागृति का गीत थोड़ा परिवर्तन के साथ:

“हम लाए हैं अंग्रेज़ो से आज़ादी निकाल के, इस भारत को रखना मेरे दोस्तों संभाल के”

साथियों, आज़ादी के अमृत महोत्सव पर हम सब शपथ लें की प्रतिदिन प्रातः अपने इष्ट देव का स्मरण करते समय भारतमाता के प्रति अपनी अविचल आस्था की प्रार्थना भी करें।

जय हिन्द जय भारत

आज़ादी आई भारत में बहार लाई,
जन-जन के घर में खुशियाँ आई,
सिर्फ आज़ादी नहीं तू है हम सबकी माई,
तुझको पाने के लिए लाखों ने थी जान गंवाई,
देश की माटी सिर पर लगाकर हमने भी सौगंध है खाई,
नहीं होने देंगे ऐ देश तेरे संग बेवफाई,
कर देंगे जान न्योछावर अगर तिरंगे पर आंच आई,
आज़ादी के अमृत महोत्सव पर
सभी ने भारत भक्ति की कसम है खाई

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Pramod Mehta

After extending my service of 37 years in the ‘New India Assurance’, I started my passion for writing on life management. In my opinion, a clear vision of life is much needed in today's scenario.
My style of writing is simple so that my readers get a clear understanding.

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About Pramod Mehta

From my experience, I observed that a clear vision of life is much needed among people around thus chose ‘Life management’ as the genre of my blog.

My love for our mother tongue makes me write in simple Hindi so that people may understand easily.


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